Saturday, July 30, 2016

मूसा मरेया मौत से आगे मौत खड़ी


एक फकीर से किसी ने जाकर पूछा कि हमें मृत्यु और जीवन के संबंध में कुछ समझाये?उस फकीर ने कहा कहीं और जाओ। अगर केवल जीवन के सम्बन्ध में ही समझना हो तो मैं समझाऊँ लेकिन मौत के
सम्बन्ध में समझना हो तो कहीं और जाओ। क्योंकि मौत को तो हम जानते ही नहीं कि कहीं है। हम तो केवल जीवन को जानते हैं।
    जो जानता है वह केवल जीवन को जानता है इसके लिए मौत जैसी कोई चीज़ रह ही नहीं जाती।और जो सोता है वह केवल मौत को ही जानता है वह जीवन को कभी नहीं जान पाता।सोया हुआआदमी इन अर्थों में मरा हुआआदमी है।उसे जीवन का केवलआभास है,कोईअनुभव नहीं।वह सोया हुआ है इसलिए वह एक जड़ यंत्र है,सचेत आत्मा नहीं। और इस सोये हुए होने पर वह जो भी करेगा,वह मृत्यु के अलावा उसे कहीं नहीं ले जा सकता है, चाहे वह धन एकत्र करे,चाहे वह धर्म एकत्र करे, चाहे वह दुकान चलाये और चाहे वह मन्दिर जाए चाहे वह यश कमाये और चाहे वह त्याग करे। उसका कुछ भी करना उसे मृत्यु के बाहर नहीं ले जा सकता है।
    एक राजा ने रात सपना देखा। वह घबरा गया और उसकी नींद टूट गई। फिर तो उतनी रात उसने सारे महल को जगा दिया और सारी राजधानी में खबर पहुँचा दी कि मैने एक सपना देखा है। जो लोग मेरे सपने का अर्थ कर सकें, उसकी व्याख्या कर सकें, वे शीघ्र चले आयें। गांव के जो भी पंडित थे,विचारशील लोग थे,ज्ञानी थे,भागे हुए राजमहल आये। और उन्होंने राजा से पूछा कि कौन सा सपना आपने देखा है कि आधी रात को आपको हमारी ज़रूरत पड़ गई। उस राजा ने कहा, मैने सपने में देखा है कि मौत मेरे कंधे पर हाथ रखकर खड़ी हैऔर मुझसे कह रही है कि साँझ ठीक जगह परऔर ठीक समय पर मुझे मिल जाना।मुझे तो कुछ समझ में नहींआता कि इस सपने का क्या अर्थ है?
तुम्हीं मुझे समझाओ। ये लोग विचार में पड़ गये और सपने का अर्थ करने लगे। क्या होगा, इसकी सूचना क्या है? इसके लक्षण क्या हैं? और तभी महल के एक बूढ़े नौकर ने राजा को कहा,इनके अर्थ और इनकी व्याख्यायें और इनके शास्त्र बहुत बड़े हैं। और साँझ जल्दी हो जायेगी। मौत ने कहा है साँझ होते होते सूरज ढलते ढलते मुझे ठीक जगह पर मिल जाना। मैं तुम्हें लेने आ रही हूँ। उचित तो यह होगा कि आपके पास जो तेज से तेज़ घोड़ा हो, उसको लेकर इस महल से साँझ तक जितनी दूर हो सके निकल जायें।इस महल में अब एक क्षण भी रुकना खतरनाक है। जितनी दूर जा सकें, चले जायें। मौत से बचने का इसके सिवाय कोई रास्ता नहीं है। और अगर इन पंिडतों की व्याख्या के लिए रुके रहे तो ये क्या अर्थ करेंगे तो मैं आपसे कह देता हूँ कि ये पंडित जो आज तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचे हैं, कोई निष्पत्ति और कोई समाधान पर नहीं पहुँचे हैं हालाँकि हज़ारों साल से विचार कर रहें हैं। जब ये अभी तक जीवन का ही कोई अर्थ नहीं निकल पाये तो मौत का क्या अर्थ निकाल पायेंगे?साँझ बहुत जल्दी हो जायेगी इनका अर्थ न निकल पायेगा।आप भागें यही ठीक है। इस महल को जल्द से जल्द छोड़े दें यही उचित है। राजा को बात समझ में आई। उसने अपना तेज़ से तेज़ घोड़ा बुलवायाऔर उस पर बैठ कर भागा। दिन भर वह भागता रहा।न उसने धूप देखी न छाँव न उस दिन उसे प्यास लगी,न भूख। जितनी दूर निकल सके उतने दूर निकल जाना था। मौत पीछे पड़ी थी। महल से जितना दूर हो जाये उतना ही अच्छा था। जितना मौत के पंजे से बाहर हो जाये उतना ही अच्छा था। साँझ होते होते, वह सैंकड़ों मील दूर निकल गया। सूरज ढल रहा था। उसने एक बगीचे में जाकर घोड़ा ठहराया।वह प्रसन्न था कि वह काफी दूर आ गया है। जब घोड़ा बाँध ही रहा था तभी उसे अनुभव हुआ कि पीछे से किसी ने कंधे पर हाथ रख दिया है।उसने लौटकर देखा। वह घबरा गया।उसके सारे प्राण कंप गये। जो काली छाया रात सपने में उसे दिखाई पड़ी थी वही खड़ी थी। घबरा कर राजा ने पूछा तुम। तुम कौन हो?उसने कहा,मैं हूँ तुम्हारी मृत्यु क्या भूल गयेआज की रात ही मैने तुम्हें स्मरण दिलाया था कि साँझ होने के पहले,सूरज ढलने के पहले, ठीक समय,ठीक जगह पर मुझे मिल जाना। मैं तो बहुत घबराई हुई थी क्योंकि जहां तुम थे,वहां से इस वृक्ष के नीचे तक, ठीक समय पर आने में बहुत कठिनाई थी। लेकिन तुम्हारा घोड़ा बुहत तेज़ थाऔर उसने तुम्हें ठीक समय,ठीक जगह पर पहुँचा दिया। मैं तुम्हारेघोड़े को धन्यवाद देती हूँ।इस जगह तुम्हें मरना थाऔर मैं चिन्तित थी कि सूरज ढलने तक तुम इस जगह तक आ भी पाओगे या नहीं।
    दिन भर की दौड़ साँझ को मौत में ले गई। सोचा था बचने के लिए भाग रहा है। और उसे पता भी न था कि बचने के लिए नहीं भाग रहा था बल्कि जिससे बचना चाह रहा था प्रतिक्षण उसके ही निकट होता जाता था।उसे पता भी न था कि उसका उठाया हुआ प्रत्येक कदम उसे मौत के मुँह में ले जा रहा था। हम सब भी अपने अपने घोड़े पर सवार हैं। और हम सब भी मौत के मुँह में चले जा रहे हैं। हम जो भी करेंगे, वह शायद हमें उस ठीक जगह पहुँचा देगा जहाँ मौत हमारी प्रतीक्षा कर रही है।और हम जिस रास्ते पर भी चलेंगे, वह हमें मौत के अतिरिक्त कहीं नहीं ले जायेगा आज तक यही होता रहा है।

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