Monday, August 29, 2016

बुद्ध से पूछा सुखी कितने हुये


महात्मा बुद्ध एक गाँव में गये और एक आदमी ने उनसे आकर पूछा कि चालीस वर्षों से निरंतर आप गाँव-गाँव घूमते हैं, कितने लोग शांत हुए कितने लोग मोक्ष गये, कितने लोगों का निर्वाण हो गया? कुछ गिनती है, कुछ हिसाब है? वह आदमी बड़ा हिसाबी रहा होगा। बुद्ध को उसने मुश्किल में डाल दिया होगा। क्योंकि बुद्ध जैसे लोग खाता-बही लेकर नहीं चलते हैं, कि हिसाब लगाकर रखें कि कौन शांत हो गया, बुद्ध की कोई दुकान तो नहीं है कि हिसाब रखें। बुद्ध मुश्किल में पड़ गये होंगे। उस आदमी ने कहा, बताइये, चालीस साल से घूम रहे हैं, क्या फायदा घूमने का? बुद्ध ने कहा, एक काम करो, सांझ आ जाना, तब तक मैं भी हिसाब लगा लूँ। और एक छोटा सा काम है, वह भी तुम कर लाना। फिर मैं तुम्हें उत्तर दे दूंगा। उस आदमी ने कहा बड़ी खुशी से, क्या काम है वह मैं कर लाऊँगा। और सांझ आ जाता हूँ हिसाब पक्का रखना, मैं जानना ही चाहता हूँ कि कितने लोगों को मोक्ष के दर्शन हुए, कितने लोगों ने परमात्मा पा लिया। कितने लोग आनन्द को उपलब्ध हो गये। क्योंकि जब तक मुझे यह पता न लग जाये कि कितने लोग हो गये हैं, तब तक मैं निकल भी नहीं सकता यात्रा पर। क्योंकि पक्का पता तो चल जाये कि किसी को हुआ भी है या नहीं हुआ।
     बुद्ध ने उससे कहा, कि यह कागज़ ले जाओ और गाँव में एक एक आदमी से पूछ आओ, उसकी ज़िन्दगी की आकांक्षा क्या है, वह चाहता क्या है? वह आदमी गया, एक छोटा सा गांव था, सौ पचास लोगों की छोटी-सी झोंपड़ियां थी, उसने एक-एक घर में जाकर पूछा। किसी ने कहा कि धन की बहुत ज़रूरत है, और किसी ने कहा कि बेटा नहीं है, बेटा चाहिए। और किसी ने कहा, और सब तो ठीक है लेकिन पत्नी नहीं है, पत्नी चाहिए। किसी ने कहा और सब ठीक है, लेकिन स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है, बीमारी पकड़े रहती है, इलाज चाहिए, स्वास्थ्य चाहिए। कोई बूढ़ा था, उसने कहा कि उम्र चुकने के करीब आ गयी, अगर थोड़ी उम्र मिल जाये और तो बस और सब ठीक है। सारा गाँव में घूमकर सांझ को जब वह लौटने लगा तो रास्ते में डरने लगा कि बुद्ध से क्या कहूँगा जाकर। क्योंकि उसे ख्याल आ गया कि शायद बुद्ध ने उसके प्रश्न का उत्तर ही दिया है। गांव भर में एक आदमी नहीं मिला जिसने कहा, शान्ति चाहिए, जिसने कहा, परमात्मा चाहिए, जिसने कहा आनन्द चाहिए। सुबह बुद्ध मुश्किल में पड़ गये थे, सांझ वह आदमी मुश्किल में पड़ गया। बुद्ध के सामने खड़ा हो गया। बुद्ध ने कहा, ले आये हो? उसने कहा, ले तो आया हूँ। बुद्ध ने कहा, कितने लोग शान्ति चाहते हैं? उस आदमी ने कहा, एक भी नहीं मिला गाँव में। बुद्ध ने कहा, तू चाहता है शान्ति? तो रुक जा। उसने कहा, लेकिन अभी तो मैं जवान हूँ, अभी शान्ति लेकर क्या करूँगा? जब उम्र थोड़ी ढल जाये तो मैं आऊँगा आपके चरणों में, अभी तो वक्त नहीं है, अभी तो जीने का समय है। तो बुद्ध ने कहा, फिर पूछता है वही सवाल? कि कितने लोग शान्त हो गये? उसने कहा, अब नहीं पूछता हूँ।

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