Sunday, October 2, 2016

मानसी पूजा


नोट-सन्त बुल्लेशाह इनायतशाह के शिष्य थेऔर बुल्ला साहिब, जिनका नाम पहले बुलाकी राम था,सन्त यारी साहिब के गुरुमुख शिष्य थे। और गुलालचन्द, जो बाद में गुलाल साहिब के नाम से प्रसिद्ध हुए,उनके यहाँ बुल्लेसाहिब नौकरी करते थेऔर विशेषकर हल चलाने के काम पर नियुक्त थे।गुलाल साहिब जब कभी बुल्ला साहिब को काम पर भेजते तो बुल्ला साहिब भजन-ध्यान में लग जाने के कारण प्रायः देर कर देते थे। अन्य नौकरों ने कई बार इनकी सुस्ती की शिकायत गुलालसाहिब से की और वह कई बार बुल्ला साहिब पर क्रद्ध हुए।
     एक दिन का बात है कि बुल्ला साहिब हल चलाने के लिए खेत पर गए थे कि वहँा भगवान के ध्यानऔर मानसी सेवा में लग गए। उसी समय गुलालसाहिब मौके पर पहुंच गएऔर बैलों को हल के साथ फिरते और बुल्लासाहिब को खेत की मेंड़ परआँखें बन्द किये हुए बैठा देखकर यह समझे कि बुल्ला साहिब ऊँघ रहे हैं, अतः गुलाल साहिब ने क्रोध में भरकर उन्हें लात मारी जिससे बुल्ला साहिब एक बारगी चौंक उठे और उनके हाथ से दही छलक गया।यह कौतुक देखकर गुलाल साहिब हक्के-बक्के हो गए। क्योंकि बुल्ला साहिब के हाथ में दही का कोई बर्तन नहीं था। यद्यपि गुलाल साहिब ने बुल्ला साहिब को बड़ी ज़ोर की लात मारी थी, परन्तु फिर भी बुल्ला साहिब बड़ी ही विनम्रता के साथ बोले-क्षमा कीजिये,मैं भगवान का ध्यान करते-करते उनकी सेवा में लग गया था और उन्हें भोग लगवाने के लिए भोजन परोस चुका था,केवल दही बाकी था, उसे परोस ही रहा था कि आपके हिला देने से वह दही गिर गया। बुल्लासाहिब की ऐसी मन की तन्मयताऔर उच्चअवस्था देखकर गुलाल साहिब उनके चरणों पर गिर पड़े,अपनेअपराध के लिए क्षमा माँगी और उसी समय बुल्ला साहिब को अपना गुरु धारण कर लिया।
     उपरोक्त प्रमाण से सत्संगी एवं जिज्ञासु पुरुष स्वयं ही समझ सकते हैं कि मन के एकाग्रता एवं तन्मयतापूर्वक साधन में लगने का कितना महानलाभ है,इसलिए भक्ति के साधनों परआचरण करते हुए जिज्ञासु को इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहियेऔर इस बात की पूरी कोशिश करना चाहिये कि शरीरऔर इन्द्रियों के साथ साथ उसका मन भी इन साधनों में एकाग्रता और तन्मयता के साथ संलग्न रहे। ऐसा करने से निश्चय ही उसे पूरा पूरा लाभ होगा और वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होगा।

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