Wednesday, June 29, 2016

त्यागी कौन?


राजा ने योगी को नमस्कार किया। योगी ने पूछा, "आपने मेरा इतना सम्मान क्यों किया?' राजा ने कहा, "भगवन! आप घर-परिवार का त्याग कर एकांत में साधना करते हैं, इसलिए आप पूज्य हैं।' योगी बोला, "लेकिन आपका त्याग मुझसे कहीं ज्यादा है।' राजा ने आश्चर्यचकित होकर कहा, "कैसे?' योगी ने कहा, "किसी व्यक्ति के पास एक भव्य भवन है। अगर वह रोज झाड़ू लगाकर उसमें से कूड़ा-कचरा बाहर निकालता है तो क्या वह त्यागी कहलाएगा?' राजा ने कहा, "इसमें त्याग कैसा। कूड़ा तो बाहर निकालने की ही चीज़ है।' योगी ने फिर कहा, "राजन्! यदि कोई दूसरा व्यक्ति घर की बहुमूल्य वस्तुएं दूसरों को दे देता है तो उसे आप क्या कहेंगे?' राजा ने कहा, "निश्चय ही वह महान त्यागी है?' योगी ने मुस्कराते हुए कहा, "राजन्! इसलिए तो मैने आपको महान त्यागी कहा है। आपने ध्यान, आत्मचिंतन और साधना जैसी महान चीज़ों का त्याग किया है और सोना-चांदी जैसी बहुमूल्य वस्तुएं अपने पास रखी हैं, जबकि मैने तो बस परिवार का ही त्याग किया है। फिर आपका त्याग तो ज्यादा बड़ा हुआ न।' राजा योगी का आशय समझ गया। उस दिन से वह ईश्वरोपासना और जनकल्याण में जुट गया।

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