Sunday, June 5, 2016

दृढ़ शिव भक्ति से गरीब उपमन्यु सामथ्र्यवान बन गया


अपने मामा के पुत्र को दूध पीते देख उपमन्यु के बाल हृदय में भी दूध पीने की इच्छा हुई। लगभग 12-13 वर्षीय उपमन्यु अपनी विधवा माता के पास तीर की तरह पहुंचा और बोला - मां, मैं भी दूध पीऊंगा। पुत्र की बात सुनकर मां बोली - बेटा, तुम्हारे भाग्य में दूध पीना नहीं लिखा है।

मां की ओर नाराजगी से देखते हुए बालक उपमन्यु ने कहा - मेरे भाग्य में दूध पीना क्यों नहीं लिखा? मां ने लाचार होकर आटे को पानी में घोलकर उपमन्यु को दे दिया। उसने जैसे ही एक घूंट पिया, मुंह बिगाड़कर उसे दूर रखते हुए कहा - यह दूध नहीं है।

मां बोली - मैं गरीब हूं, तुम्हें दूध कहां से दूं? उपमन्यु ने दुखी होकर कहा - मां, क्या कोई उपाय है? मां ने कहा - यदि तुम वन में जाकर शिवजी को प्रसन्न करो तो तुम्हारा भाग्य बदल जाएगा। उपमन्यु समर्पित भाव से वन में जाकर शिव-शिव का जाप करने लगा। उसकी दृढ़ भक्ति देख शिवजी इंद्र का वेश धारण कर उपमन्यु के पास आकर बोले - तुम व्यर्थ ही शिव भक्ति कर रहे हो, वे भला तुम्हें क्या देंगे? मैं तीनों लोकों का स्वामी हूं, तुम मेरा नाम लो, मैं तुम्हारी सभी इच्छाएं पूर्ण करूंगा। उपमन्यु यह पूछते हुए कि तुम कौन हो, उन पर झपट पड़ा।

यह देख शिवजी प्रसन्न हो अपने असली स्वरूप में प्रकट हुए और उपमन्यु के घर में दूध का सागर बहने का वर दिया। वास्तव में यही हुआ और उपमन्यु प्रतिदिन हजारों लोगों को दूध बांटने लगा। शिवजी की कृपा से उपमन्यु बहुत बड़ा विद्वान बना और उसने पर्याप्त यश अर्जित किया। दरअसल अपने आराध्य के प्रति एकनिष्ठ भक्ति सदैव शुभ फलदायी होती है। इसलिए जिसके प्रति आस्था हो, वह अटूट रहनी चाहिए।

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