Wednesday, February 17, 2016

परलोक में काम करने को नहीं मिला


     बेकार मबाश कुछ न कुछ तो किया कर।
जो सदा बेकार रहता है, काम से जी चुराता है और जो अकर्मण्य एवं आलसी है, उसका जीवन तो नारकीय जीवन होता है। इस विषय में एक विचारवान ने एक छोटी-सी कथा यूं लिखी है।
     एक दिन एक व्यक्ति ने अपने को परलोक में एकआलीशान कमरे में पाया। उसने इधर-उधर देखा,उसे वहां सब तरह का आराम नज़र आया। थोड़ी देर विश्राम करके जब उसका जी ऊब गया, तो उसने पुकारा-""अरे भाई!कोई है।'' तुरन्त ही सफेद वर्दी पहने एक अर्दली आ उपस्थित हुआ और बोला-""कहिये, आपको क्या चाहिये?''उस व्यक्ति ने पूछा-""यहां क्या-क्या मिल सकता है?''अर्दली ने उत्तर दिया-""यहाँ आप को सब चीज़ें मिलेंगी,जो भी आप चाहें।'' ""अच्छा! मुझे भूख लगी है,
कुछ खाने को ले आओ।''उस व्यक्ति ने कहा।
अर्दली बोला-""आप क्या खायेंगे?आप जो कुछ भी चाहें, मैं वही ला कर दे सकता हूँ।''
     उसकी इच्छानुसार भोजन प्रस्तुत हो गया और वह खा-पीकर सो रहा। कई दिन तक यही क्रम चलता रहा।जो कुछ भी वह खाने-पीने को माँगता,उसे ला दिया जाताऔर वह खा-पीकर या तो सो रहता या इधर-उधर घूमता रहता।अन्ततः उसका जी ऊबने लगा।उसनेअर्दली को बुला कर कहा-"'देखो, मैं कुछ काम करना चाहता हूँ।''अर्दली ने उत्तर दिया-""क्षमा कीजिए,आपकी इस इच्छा की पूर्ति नहीं हो सकती। यहाँ कोई काम नहीं है,जो आपको दिया जा सके।''वह व्यक्ति चुप हो गया। कुछ दिन तक उसका फिर वही क्रम चलता रहा। वह या तो खा-पीकर सो रहता था बेकार इधर-ऊधर घूमता रहता।आखिर परेशान होकर उसने अर्दली को बुलाया और कहा-""काम के बिना भी कोई जीवन है। मैं तो इस जीवन से तंग आ गया।अगर यहां कोई काम नहीं है,तो इससेअच्छा तो यही है कि मुझे नरक में भेज दो।'' जानते हैं, अर्दली ने क्या उत्तर दिया?उसका उत्तर था-"'आपका क्या विचार है?आप और हैं कहाँ?यही तो नरक है।''
     काम में संलग्न रहना ही वास्तव में जीवन है। जो व्यक्ति बेकार और निकम्मा रहता है, उसका जीवन नरक रूप बन जाता है, इसमें तनिक भी संशय नहीं है। वह सदा रोगों चिन्ताओं और बे-आरामियों से घिरा रहता है।

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