Monday, February 29, 2016

चीनी लोक कथा का संयुक्त परिवार


    'रहन सहन' इन दो शब्दों की जोड़ी सदियों से बोलचाल की भाषा में घुल मिल गयी है। किन्तु इनके एक साथ होने का रहस्य बहुत कम लोगों को ज्ञात है। इसका गुढ़ार्थ यह है कि यदि रहना है(परिवार,समाज कहीं भी) तो सहना अनिवार्य है एक चीनी लोककथा है। चीन में एक विशाल संयुक्त परिवार रहता था। जिसमें लगभग पाँच सौ सदस्य थे सबमें गहरा प्रेम और सद्भाव था। इस अदभुत परिवार की चर्चा जब राजा के कानों में पहुँची तो वह उस परिवार के प्रमुख व्यक्ति से मिलने स्वयं गया। बूढ़ा परिवार प्रमुख सौ वर्ष की आयु पार कर चुका था। उसमें देखने और बोलने की शक्ति क्षीण हो चुकी थी।राजा ने जब उसके परिवार में अखण्ड सुख शान्ति और प्रेमभाव का रहस्य जानना चाहा तो उसने एक तख्ती मँगवाई। उस पर काँपते हाथों से उसने एक ही शब्द लिखा "सहनशीलता'।
       महाभारत के पात्रों में युधिष्ठिर की सहनशीलता असाधारण थी। द्यूत क्रीड़ा के समय, द्रोपदी के चीरहरण से क्षुब्ध भाईयों की उत्तेजना उनकी सहनशीलता के कारण ही दबी रही। युधिष्ठिर के मन में किसी के प्रति प्रतिशोध भावना कभी नहीं रही।

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