किसी राजा के दरबार में एक फकीर यह सदा किया करता था कि ""नेकों के साथ नेकी करोऔर बदों की बदी स्वयं उनको नष्टकर देगी'' एक दरबारी इस सदा से अत्यन्त अप्रसन्न हुआ करता था। उसने राजा से चुगली की कि हुज़ूर! अमुक फकीर ऐसा कहा करता है कि राजा के मुख से दुर्गन्ध आती है। राजा ने कहा-उसको हमारे सामने लाओ, हम इसकी जांच-पड़ताल करेंगे। चुगलखोर ने फकीर को कहला भेजा कि राजा की ओर से आप की दावत है और उस दिन भोजन में बहुत से प्याज़ पकवा कर उस फकीर को खिलाये, तत्पश्चात् राजा के समक्ष उपस्थित किया जब फकीर राजा के सम्मुख गया तो उसको विचार हुआ कि कहीं प्याज़ की दुर्गन्ध राजा को अप्रिय न लगे, इसलिये सामने जाकर मुख पर हाथ धर लिया।
चुगलखोर ने उसी समय राजा को संकेत में कहा कि हज़रत! देखिये इसने आपके मुख की दुर्गन्ध से बचने के लियेअपने मुख पर हाथ धर लिया है। राजा ने फकीर से तो कुछ न कहा, एक पत्र अपने नगर कोतवाल के नाम लिखकर फकीर को दिया और कहा कि इसको कोतवाल के पास ले जाओ। उस राजा की यह नीति थी कि जिस किसी को विशेष पुरस्कार देता था, उसको नगर कोतवाल के नाम पत्र लिख कर दिया करता था।उस चुगलखोर ने समझा कि अवश्य ही इस फकीर को भी कोई विशेष पुरस्कार मिला है। शीघ्रतापूर्वक बाहर निकल कर फकीर के पीछे हो लिया और विनय की कि हज़रत!यह पत्र यदि आप मुझे दे दें तो मैं कोतवाल को पहुँचा दूँ, आप व्यर्थ कष्ट क्यों करते हैं। फकीर ने वह पत्र उसी को सौंप दिया। वह पत्र लेकर कोतवाल के पास पहुँचा।उसमे लिखा हुआ था कि पत्रवाहक को बिना देर किये कत्ल करा देना और उसकी खाल में भुस भरवा कर हमारे पास भिजवा देना, यदि देर हुई तो पूछताछ होगी। कोतवाल ने पत्र पढ़कर जल्लाद को आदेश दिया कि इस व्यक्ति को तत्काल कत्ल कर दो।चुगलखोर ने बहुतबावेला मचाया और फरियाद की और कहा कि ज़रा तुम राजा से तो पूछ लो, किन्तु कोतवाल ने पूछताछ के भय से उसकी एक न सुनी और तत्काल उसको कत्ल करा दिया। फिर उसकी खाल में भुस भरवा कर राजा के पास भेज दी।जब राजा को यह ज्ञात हुआ तो फकीर को बुलवाकर सब वृतान्त पूछा कि तुमने हमारे विषय में यह कहा था कि राजा के मुख से दुर्गन्ध आती है? फकीर ने इनकार किया और कहा कि मैं तो सदैव यही सदा किया करता हूँ कि नेकों के साथ नेकी करो और बदों की बदी स्वयं उनको नष्ट कर देगी। मालूम नहीं उसने क्या समझा।
तब राजा ने फिर पूछा कि तुमने हमारे सामने आते समय मुख पर हाथ क्यों रखा था?फकीर ने उत्तर दिया-उस दिन भोजन में बहुतअधिक प्याज़ सम्मिलित थी,उसकी गन्ध आपको अप्रिय न लगे, इसलिये मैने अपने मुख पर हाथ धर लिया था। फिर पत्र के विषय में पूछा तो फकीर ने कह दिया कि मार्ग में उस व्यक्ति ने (जिसने मुझे प्याज़ खिलाये थे) पत्र मुझसे ले लिया था कि मैं स्वयं ले जाऊँगा। उस समय राजा को फकीर की सत्यता प्रकट हुई और उससे कहा कि आप यह सदा प्रायः किया करें कि""नेकों के साथ नेकी करो और बदों की बदी स्वयं उन्हें नष्ट कर देगी।'' जैसा कि आज की घटना से सिद्ध हो गया है कि उस चुगलखोर ने वास्तव में ही अपनी बदी का दंड स्वयं अपने हाथों पाया।
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